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क्या इख्तिलाफ* है चाँद को सूरज से , जो ये अँधेरे में निकल पड़ता है …
खुद ढलती रात में रहकर रोशन इस जहाँ को करता है ….
या दिन में सूरज से जल रात में जग रोशन करने निकलता है ….
मुश्लिम की ईद, हिन्दू का करवाचौथ इसी पर पलता है ….
बचपन में मामा, जवानी में जान इसमें दिखाता है ….
कभी खुद को पूर्ण कर प्रकाश का तेज दिखलाता है…
जो ये अँधेरे में निकल कर आता है ….
Written By – Adarsh Beohar
* इख्तिलाफ = मतभेद ( Disagreement )
Adarsh Beohar
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The Story Of Moon
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