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Na jane kab kharch ho gaye wo lamhe, pata hi na chala, jo bacha kar rakhe the jeene ke liye – A CA STUDENT’s STORY
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The above mentioned lines are written by the Famous Writer, actor,
composer , i should say all rounder MR.Piyush Mishra. I just expanding
it into my thoughts in my way.
( सुचना – इस कविता का किसी विशेष व्यक्ति, समूह, जाती या वास्तविकता से सीधा सम्बन्ध हो सकता है, इसे अपने जिम्मेदारी पर ही पढ़े | धन्यवाद )
सोचा था मंजिल पाकर ऐश करेंगे …
नाम CA छोटा सा, बड़ा दर्द दे गया …
और कुछ तो ना था खोने के लिए …
ना जाने कब खर्च हो गए वो लम्हे , पता ही ना चला …
एक दर्द है यहाँ सबने झेला. मैं घुट घुट कर पड़ता रहा…
ना होती यहाँ रेगिंग, ना होगी कभी …
पढ़ा तो पढ़ा छुट गयी सब दुनियादारी CA के लिए …
खेर काँटों की राह है मंजिल मिलने तक के लिए …
( सुचना – इस कविता का किसी विशेष व्यक्ति, समूह, जाती या वास्तविकता से सीधा सम्बन्ध हो सकता है, इसे अपने जिम्मेदारी पर ही पढ़े | धन्यवाद )
ना जाने कब खर्च हो गए वो लम्हे , पता ही ना चला …
जो बचा कर रखे थे जीने के लिए ….
जवानी ही न रही मौज के लिए ….
मई के बाद नवंबर, नवंबर के बाद मई में ही यहाँ मैं खो गया ….
एक समय था मस्ती का वही खो दिए ….
जो बचा कर रखे थे जीने के लिए ….
वो कम पड़ा फिर भी उसका बेडा पार होता रहा ….
जो है आपका जूनियर, हो जाये वो सीनियर क्या पता कभी ….
छोड़ी खेलना होली , न फोड़े फटाके यहाँ एग्जाम के लिए ….
पार होने पर शायद मिलेंगे सुकून के पल जीने के लिए….
Written By – Adarsh Beohar
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